सच्चा प्रेम: माया के भ्रम से मुक्ति तक की यात्रा

सच्चा प्रेम: माया के भ्रम से मुक्ति तक की यात्रा

‘प्रेम’

Introduction: यह आपसे किसने कहाँ की प्रेम कुछ समय बाद पूरा हो जाता हैं, प्रेम तो कभी पूरा हो ही नही सकता और न कभी होगा। यही वह प्रेम है जो इंसन को परमात्मा मे जोड़ता है। प्रेम किसी व्यक्ति विशेष या कोई वस्तु से नहीं किया जाता, वो तो सब माया है भ्रम है, मोह है, यदि प्रेम किया जाता है तो वह अपने आप से किया जाता है।

और रहि बात सच्चे प्रेम की तो कृष्ण कह गए हैं कि सच्चा प्रेम उसी व्यक्ति में हो सकता है जिसने अपने आत्मा को पूर्ण रूप से जान लिया हो। बस फरक इतना है कि जो इसको समझ लेता है वह व्यक्ति मोह के बंधन से मुक्त जाता है और जो न समझ पाता है वो भ्रम मे रहता है और प्रेम को जिन्दगी भर बाहर खोजता रहता है।

मेने हमेशा सच्चा प्रेम किया और करता रहूंगा, लेकिन ये मेरे हाथ मे तो नहीं है न कि मे जिससे भी प्रेम करू वो भी मुझसे उतना ही प्रेम करे। प्रेम देख के नहीं किया जाता बस हो जाता है। प्रेम-प्रेम होता है कोई व्यापार नहीं की मेने इतना प्रेम किया तो मुझे उससे इतना प्रेम मिलना चाहिए। 

हर किसी का प्रेम करने का तरीका अलग-अलग होता है। यदि प्रेम किसी व्यक्ति से करना ही है तो उस व्यक्ति से करो जो उच्चतम हो ताकी आप दोनो एक साथ जिदगी में आगे बड़ सको।

प्रेम, एक अद्भुत भावना, एक सार्थक अनुभव, और जीवन की सबसे गहरी रहस्यमय यात्रा। यह एक ऐसी शक्ति है जो हमें माया के भ्रम से मुक्ति तक ले जाती है। मेरे अनुभव से निकले ये विचार बताते हैं कि सच्चा प्रेम वह है जो व्यक्ति को अपने आत्मा से जुड़ता है और उसे सच्ची खुशियों और मुक्ति की ओर ले जाता है।

यात्रा का आदि: प्रेम की भ्रांतियों का सामना

जब मैंने प्रेम के विषय में अपनी यात्रा शुरू की, तो मुझे बहुत से मिथ्या धारणाओं और भ्रामों का सामना करना पड़ा। लोगों ने कहा कि प्रेम कुछ समय के लिए होता है और फिर वह खत्म हो जाता है। लेकिन मेरे अनुभव से मुझे यह बात समझ आई कि प्रेम कभी पूरा नहीं होता और न होगा। यह एक ऐसी शक्ति है जो बढ़ती है जब हम उसे अपने आत्मा से जोड़ते हैं। प्रेम एक व्यक्ति विशेष या वस्तु से नहीं किया जाता, वह तो सब माया है भ्रम है, मोह है। असली प्रेम तो अपने आप से किया जाता है।

सच्चे प्रेम का अनुभव: आत्मज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका

भगवान श्रीकृष्ण का कथन है कि सच्चा प्रेम उसी व्यक्ति में होता है, जिसने अपने आत्मा को पूर्ण रूप से जान लिया हो। यह सत्य है, क्योंकि जब हम अपने आत्मा को समझते हैं, तो हम प्रेम के मोहक बंधन से मुक्त हो जाते हैं और सच्ची खुशियों का अनुभव करते हैं। प्रेम एक संबंध नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव है जो हमें परमात्मा के साथ जोड़ता है। यदि हम इसे समझते हैं, तो हमारा जीवन एक समृद्ध और आनंदमय बन जाता है।

प्रेम के विभिन्न आयाम: एक सामर्थ्यपूर्ण भावना

प्रेम किसी व्यक्ति के प्रति होने का मतलब नहीं, बल्कि यह एक भावना है जो हमें सभी प्राणियों और सृष्टि के साथ जोड़ती है। मैंने सच्चे प्रेम के साथ जीवन की सभी उचाइयों और नीचाइयों का सामना किया है। जब हम विश्वास, समर्थन, और सम्मान के साथ अपने प्रियजनों के साथ होते हैं, तो हम उनके साथ मिलकर सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। प्रेम हर किसी के लिए अलग होता है और हर किसी का प्रेम करने का तरीका भी अलग-अलग होता है। हमें अपने आत्मा की उच्चतम भावना से जुड़े व्यक्ति को चुनने की आवश्यकता होती है जिससे हम एक साथ जीवन के सभी अवसरों का सामना कर सकें।

समाप्ति: प्रेम की सत्यता और खोज

इस यात्रा में, मैंने जाना है कि प्रेम एक अनंत भावना है जो हमें माया के भ्रम से मुक्ति तक ले जाती है। सच्चा प्रेम हमारे आत्मा के साथ जुड़ने का माध्यम है और हमें जीवन के रहस्यों को समझने का अवसर देता है। मैं हमेशा से सच्चे प्रेम का समर्थक रहा हूँ और यह विश्वास करता हूँ कि यह जीवन को सरल, सफल, और खुशहाल बनाने का रास्ता है। प्रेम न केवल आनंद और सुखी जीवन का स्रोत है, बल्कि यह हमें वास्तविकता से जोड़ता है और हमारे असली आत्मा को प्रकट करता है। सोचने का समय है, क्या आप भी सच्चे प्रेम की यह यात्रा तय करने को तैयार हैं?

Manish Koshyari
Manish Koshyari
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